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Theories of Teaching (शिक्षण के सिद्धांत), In Hindi

 शिक्षण के सिद्धांत (Theories of Teaching ), In Hindi

शिक्षण के सिद्धांत (Theories of Teaching ), In Hindi

शिक्षण सिद्धांत का अर्थ -

शिक्षण सिद्धांत से अभिप्राय है कि किसी भी विषय क्षेत्र या प्रक्रिया के विषय में सुव्यवस्थित, सुसंगठित तथा निश्चित क्रम में विचारों को इस प्रकार से आयोजित किया जाये कि वह प्रक्रिया स्पष्ट रूप से सभी के समक्ष प्रदर्शित कर सके |

परिभाषा ( Definition ) -

स्मिथ के अनुसार – “ किसी भी शिक्षण सिद्धांत में तीन तत्व अवश्य होने चाहिए – (1) चरों का स्पष्टीकरण (2) इन चरों के मध्य संभावित संबंधों की स्थापना तथा (3) विभिन्न चरों के पारस्परिक संबंधों के विषय में प्रकल्पना का स्पष्ट वर्णन |”


शिक्षाशास्त्र में शिक्षण की प्रमुख सिद्धांत  


शिक्षण (Teaching) केवल सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि यह एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें शिक्षक और विद्यार्थी के बीच ज्ञान, कौशल, और मूल्यों का आदान-प्रदान होता है। शिक्षाशास्त्र (Pedagogy) में शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न सिद्धांतों का विकास किया गया है, जो यह समझने में मदद करते हैं कि विद्यार्थी किस प्रकार सीखते हैं और शिक्षक अपने शिक्षण को अधिक प्रभावी कैसे बना सकते हैं। इस लेख में, हम शिक्षण की प्रमुख सिद्धांतों (Theories of Teaching) को विस्तार से समझेंगे-


1. व्यवहारवाद (Behaviorism)- 

व्यवहारवाद के अनुसार, सीखना बाहरी परिवेश और पर्यावरणीय प्रभावों पर निर्भर करता है। इसमें प्रोत्साहन (Reward) और दंड (Punishment) के माध्यम से विद्यार्थी के व्यवहार को आकार देने पर जोर दिया जाता है।  


प्रमुख विचारक: बी.एफ. स्किनर (B.F. Skinner), जॉन वॉटसन (John Watson), इवान पावलॉव (Ivan Pavlov)  

मुख्य सिद्धांत- 

प्रत्यक्ष अनुकरण (Operant Conditioning): किसी कार्य को करने पर यदि इनाम दिया जाए तो वह व्यवहार दोहराया जाता है।  

क्लासिकल कंडीशनिंग (Classical Conditioning): नए व्यवहार को पूर्व अनुभवों से जोड़कर विकसित किया जाता है।  


उदाहरण: कक्षा में अच्छा उत्तर देने पर विद्यार्थी को पुरस्कार दिया जाता है, जिससे वह आगे भी अच्छे उत्तर देने के लिए प्रेरित होता है।  


2. संज्ञानात्मक सिद्धांत (Cognitive Theory)

यह सिद्धांत इस बात पर केंद्रित है कि विद्यार्थी किस तरह से सोचते, समझते और जानकारी को संसाधित करते हैं।  


प्रमुख विचारक: जीन पियाजे (Jean Piaget), जेरोम ब्रूनर (Jerome Bruner)  

मुख्य सिद्धांत:

पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत: बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता अलग-अलग चरणों में विकसित होती है।  

खोजपरक अधिगम (Discovery Learning): विद्यार्थी को स्वयं खोज कर सीखने के अवसर देने चाहिए।  


उदाहरण: गणित पढ़ाने के दौरान शिक्षक बच्चों को सवाल हल करने के लिए प्रोत्साहित करता है, ताकि वे स्वयं समाधान निकाल सकें।  


3. निर्माणवाद (Constructivism)

इस सिद्धांत के अनुसार, विद्यार्थी अपने अनुभवों के आधार पर स्वयं ज्ञान का निर्माण करते हैं।  


प्रमुख विचारक: लेव व्यगोत्स्की (Lev Vygotsky), जॉन डेवी (John Dewey)  

मुख्य सिद्धांत: 

सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत (Sociocultural Theory): सीखने की प्रक्रिया सामाजिक और सांस्कृतिक कारकों से प्रभावित होती है।  

 निकटतम विकास क्षेत्र (Zone of Proximal Development - ZPD): विद्यार्थी को ऐसे कार्य देने चाहिए जो उनकी वर्तमान क्षमता से थोड़े ऊपर हों, ताकि वे प्रयास करके सीख सकें।  


उदाहरण: शिक्षक विद्यार्थियों को समूह में काम करने के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि वे एक-दूसरे से सीख सकें।  


4. मानवतावादी सिद्धांत (Humanistic Theory)

इस सिद्धांत में विद्यार्थी के संपूर्ण विकास पर ध्यान दिया जाता है और उनकी भावनाओं, मूल्यों और आत्म-सम्मान को विशेष महत्व दिया जाता है।  


प्रमुख विचारक: अब्राहम मैस्लो (Abraham Maslow), कार्ल रोजर्स (Carl Rogers)  

मुख्य सिद्धांत:  

आत्म-वास्तविकरण (Self-Actualization): सीखने का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों की पूर्ण क्षमता को विकसित करना है।  

व्यक्तिगत शिक्षण (Personalized Learning): हर विद्यार्थी की सीखने की गति और रुचि अलग होती है, इसलिए शिक्षण को उसके अनुसार ढालना चाहिए।  


उदाहरण: शिक्षक विद्यार्थियों की रुचियों को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत शिक्षण सामग्री तैयार करते हैं।  


5. सामाजिक अधिगम सिद्धांत (Social Learning Theory)

इस सिद्धांत के अनुसार, विद्यार्थी पर्यवेक्षण (Observation) और अनुकरण (Imitation) द्वारा भी सीखते हैं।  


प्रमुख विचारक - अल्बर्ट बंदूरा (Albert Bandura)  

मुख्य सिद्धांत -

अनुकरण द्वारा अधिगम (Learning by Imitation): बच्चे अपने आसपास के लोगों को देखकर सीखते हैं।  

मॉडलिंग (Modeling): यदि कोई आदर्श व्यक्ति कोई कार्य करता है, तो अन्य लोग उसे अनुकरण करने का प्रयास करते हैं।  


उदाहरण- यदि शिक्षक ईमानदारी और अनुशासन का पालन करते हैं, तो विद्यार्थी भी उन्हीं गुणों को अपनाते हैं।  


शिक्षण के सिद्धांत संक्षेप में (Theories of Teaching)  - 

शिक्षण में बहुत से तत्व होते है जिसमें से शिक्षण के सिद्धांत का बहुत महत्व होता है जो इस प्रकार हैं -


1. क्रियाशीलता का सिद्धांत ( Theory of Activity )


2. प्रेरणा का सिद्धांत ( Theory of Motivation )


3. रूचि का सिद्धांत ( Theory of Interest )


4. निश्चित उद्देश्य का सिद्धांत ( Principle of Definite Aims )


5. चयन का सिद्धांत ( Theory of Selection )


6. नियोजन का सिद्धांत ( Theory of Planning ) 


7. वैयक्तिक भिन्नता का सिद्धांत ( Principle of Individual Differences )


8. लोकतान्त्रिक व्यव्हार का सिद्धांत ( Theory of Democratic Dealing )


9. विभाजन का सिद्धांत ( Theory of Division ) 


10. आवृत्ति का सिद्धांत ( Theory of Revision )


11. निर्माण एवं मनोरंजन का सिद्धांत (Theory of Construction and Recreation )


12. पाठ्य सामग्री के चुनने का सिद्धांत ( Principle of selection of Subject Matter )


13. जीवन से सम्बंधित स्थापना का सिद्धांत ( Theory of Related Life )


14. मनोवैज्ञानिकता का सिद्धांत ( Theory of Psychological )

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