शब्द: रचना, अर्थ एवं प्रकार
1. शब्द की परिभाषा
भाषा में प्रयुक्त सबसे छोटी स्वतंत्र इकाई, जिससे कोई अर्थ निकलता है, उसे शब्द कहते हैं। शब्द ध्वनि, अक्षर या वर्णों के मेल से बनते हैं और ये किसी विशेष अर्थ का बोध कराते हैं।
उदाहरण: पुस्तक, विद्यालय, सुंदर, खेलना आदि।
2. शब्द की रचना
शब्द ध्वनियों से मिलकर बनते हैं। इनकी रचना दो आधारों पर की जाती है:
(i) व्याकरणिक संरचना के आधार पर शब्द रचना
उपसर्ग (Prefix): जो शब्दों के पहले जुड़कर नए अर्थ का निर्माण करते हैं।
उदाहरण: प्र+वेश (प्रवेश), पुनः+निर्माण (पुनर्निर्माण)
प्रत्यय (Suffix): जो शब्दों के अंत में जुड़कर अर्थ बदल देते हैं।
उदाहरण: पढ़+ई (पढ़ाई), दुख+द (दुखद)
यौगिक शब्द: दो या अधिक शब्दों के मेल से बना शब्द।
उदाहरण: जलपान (जल + पान), राजपथ (राज + पथ)
यौगिक-योगरूढ़ शब्द: जब दो शब्द मिलकर नए अर्थ का निर्माण करें।
उदाहरण: अग्निकुंड (अग्नि + कुंड), देवदूत (देव + दूत)
संयुक्त शब्द: दो स्वतंत्र शब्दों के मिलने से बने शब्द।
उदाहरण: गृहप्रवेश, आत्मनिर्भर
उदाहरण: गाय, जल, पर्वत
(ii) ध्वन्यात्मक संरचना के आधार पर शब्द रचना
स्वर (Vowels): अ, आ, इ, ई, उ, ऊ आदि।
व्यंजन (Consonants): क, ख, ग, घ आदि।
संयुक्त अक्षर: क्ष, त्र, ज्ञ आदि।
3. शब्द के अर्थ एवं प्रकार
शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ हो सकते हैं, जिनके आधार पर उनके प्रकार निर्धारित किए जाते हैं।
(i) अर्थ के आधार पर शब्दों के प्रकार
रूढ़ शब्द: जिनका कोई मूल नहीं होता, वे स्वतंत्र रूप से प्रयोग होते हैं।
उदाहरण: पृथ्वी, जल, वायु
यौगिक शब्द: जिनका अर्थ उनके मूल शब्दों के योग से समझा जा सकता है।
उदाहरण: राजमार्ग (राजा + मार्ग)
योगरूढ़ शब्द: दो शब्दों के मेल से बना ऐसा शब्द जिसका अर्थ भिन्न हो।
उदाहरण: चिंतामणि (विशेष मणि, न कि चिंता से संबंधित कोई वस्तु)
पर्यायवाची शब्द: एक ही अर्थ में प्रयुक्त विभिन्न शब्द।
उदाहरण: अग्नि – आग, पावक, अनल
विलोम शब्द: विपरीत अर्थ वाले शब्द।
उदाहरण: सत्य – असत्य, दिन – रात
समानार्थी शब्द: जिनका अर्थ लगभग एक जैसा होता है, लेकिन प्रयोग भिन्न हो सकता है।
उदाहरण: अन्न – भोजन, खाद्य
अनेकार्थी शब्द: एक शब्द के अनेक अर्थ हो सकते हैं।
उदाहरण: नीर (जल, आँखों का पानी, दूध)
संज्ञा शब्द: व्यक्ति, स्थान या वस्तु के नाम को संज्ञा कहते हैं।
उदाहरण: राम, दिल्ली, पुस्तक
(ii) व्युत्पत्ति के आधार पर शब्दों के प्रकार
तत्सम शब्द: संस्कृत से लिए गए शब्द जो बिना परिवर्तन के प्रयोग होते हैं।
उदाहरण: गगन, सूर्य, अग्नि
तद्भव शब्द: जो संस्कृत के शब्दों से विकसित होकर हिंदी में प्रचलित हुए।
उदाहरण: गगन → गग, सूर्य → सूरज
देशज शब्द: जो हिंदी में ही उत्पन्न हुए और किसी अन्य भाषा से नहीं लिए गए।
उदाहरण: खटारा, झोला
विदेशज शब्द: जो हिंदी में अन्य भाषाओं से आए।
उदाहरण: अस्पताल (फारसी), स्कूल (अंग्रेज़ी)
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